दोस्तों वैसे तो कविताओं और शायरियों का अपना अलग समंदर है और कविताओं और शायरियों के इस अथाह समंदर में से हम आपके लिए कुछ गिने-चुने शायरों और कवियों के द्वारा लिखी हुई कुछ रचनाएं अथवा कुछ पंक्तियां आपके लिए पेश कर रहे हैं उम्मीद करते हैं कि ये लाइनें आपको पसंद आएंगी। इस पोस्ट में आपको Hindi Shayari on Love, Best Hindi sad Shayari, Motivational Hindi in Shayari, Sad Hindi Poem on Corona Crisis. Sad Love Shayari in hindi, Hindi Poetry on Love और Hindi Waqt Shayari से संबंधित रचनाएं मिलने वाली है।
Hindi Shayri Aur Kavitayen
Jo Paltegi Kismat To Patenge Taare Hindi Poetry
ये झुका मु तुम्हारा, क्यों भौंहे सिकोड़े
क्यों नाराज हो तुम, क्यों हो मुह को मोड़े
अभी वक़्त नही है कि तुमको सुना दूं,
की तुमको मै सपनो की दुनिया दिखा दूं,
जो पलटेगी किस्मत तो पलटेंगे तारे
बहुत खूबसूरत तब होंगे नज़ारे
तुम तब तक तो थामो ये दामन हमारा
मैं चलता रहूंगा मिले जो सहारा,
तुम दामन न छोड़ो, न यूं मुह को मोड़ो
साथ होके हमारे, हमे तन्हा न छोड़ो
नही थी ये किस्मत की तुमको मैं पाता,
जो तुम न मिलती तो कहां को मैं जाता,
जाना अभी बात समझो तुम मेरी
लगा लो गले से करो तुम न यूं देरी
अभी आगे पतझड़ बहुत आएंगे
तुम साथ हो तो हम खिल जाएंगे
तुम समझदार हो मेरी बातों को समझो
कोशिश में लगा हूँ हालातों को समझो
~Sani JPR
Girna Bhi Accha Hai Positive Kavita
गिरना भी अच्छा है
“गिरना भी अच्छा है,
औकात का पता चलता है…
बढ़ते हैं जब हाथ उठाने को…
अपनों का पता चलता है!
जिन्हे गुस्सा आता है,
वो लोग सच्चे होते हैं,
मैंने झूठों को अक्सर
मुस्कुराते हुए देखा है…
सीख रहा हूँ मैं भी,
मनुष्यों को पढ़ने का हुनर,
सुना है चेहरे पे…
किताबो से ज्यादा लिखा होता है…!”
~ Unknown
Suno Draupdi Shastra Utha Lo - Pushyamitra Upadhyay
सुनो द्राैपदी ! शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आएंगे...
छोड़ो मेहंदी खड्ग संभालो
खुद ही अपना चीर बचा लो
द्यूत बिछाए बैठे शकुनि,
मस्तक सब बिक जाएंगे
सुनो द्राैपदी! शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आएंगे
कब तक आस लगाओगी तुम, बिक़े हुए अखबारों से
कैसी रक्षा मांग रही हो दुःशासन दरबारों से
स्वयं जो लज्जाहीन पड़े हैं
वे क्या लाज बचाएंगे
सुनो द्राैपदी! शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आएंगे
कल तक केवल अंधा राजा, अब गूंगा-बहरा भी है
होंठ सिल दिए हैं जनता के, कानों पर पहरा भी है
तुम ही कहो ये अंश्रु तुम्हारे,
किसको क्या समझाएंगे?
सुनो द्राैपदी! शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आएंगे
छोड़ो मेहंदी खड्ग संभालो
खुद ही अपना चीर बचा लो
द्यूत बिछाए बैठे शकुनि,
मस्तक सब बिक जाएंगे
सुनो द्राैपदी! शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आएंगे
कब तक आस लगाओगी तुम, बिक़े हुए अखबारों से
कैसी रक्षा मांग रही हो दुःशासन दरबारों से
स्वयं जो लज्जाहीन पड़े हैं
वे क्या लाज बचाएंगे
सुनो द्राैपदी! शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आएंगे
कल तक केवल अंधा राजा, अब गूंगा-बहरा भी है
होंठ सिल दिए हैं जनता के, कानों पर पहरा भी है
तुम ही कहो ये अंश्रु तुम्हारे,
किसको क्या समझाएंगे?
सुनो द्राैपदी! शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आएंगे
Koshish Karne Walon Ki Kabhi Haar Nhi Hoti Poori Kavita
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, बार बार फिसलती है।
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है।
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है।
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में।
मुट्ठी उसकी खाली हर एक बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो।
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम।
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
–हरिवंशराय बच्चन – Harivansh Rai Bachchan
Jeene Ka Hausla Hai Motivational Hindi Poetry
जीने का हौसला है, लाचार हूँ तो क्या
रग-रग में ज़लज़ला है, बेकार हूँ तो क्या
रोके नहीं रुकूंगा, तूफान-ए-दौर में भी
चलने का सिलसिला है, ज़ार-ज़ार हूँ तो क्या
सरे राह चरागों में, अब रोशनी नहीं है
मेरा मन खिला-खिला है, तार-तार हूँ तो क्या
है तख़्त-ओ-ताज सर पे, किस्मत बुलंद है
फूलों का संग मिला है, फिर ख़ार हूँ तो क्या
तस्वीर तो बनाता, पर हाथ ही नहीं हैं
मेरे दिल में रंग मिला है, बे-हाथ हूँ तो क्या
कितना भी बड़ा तूफां, कश्ती को घेर लेगा
उस पार काफिला है, मझधार हूँ तो क्या
~Pandit Avadhkishor Pandey
Waqt Badlne Mein Waqt Lagta Hai Shayari
पानी को बर्फ में,
बदलने में वक्त लगता है !!
ढले हुए सूरज को,
निकलने में वक्त लगता है !!
थोड़ा धीरज रख,
थोड़ा और जोर लगाता रह !!
किस्मत के जंग लगे दरवाजे को,
खुलने में वक्त लगता है !!कुछ देर रुकने के बाद,
फिर से चल पड़ना दोस्त !!
हर ठोकर के बाद,
संभलने में वक्त लगता है !!
बिखरेगी फिर वही चमक,
तेरे वजूद से तू महसूस करना !!
टूटे हुए मन को,
संवरने में थोड़ा वक्त लगता है !!
जो तूने कहा,
कर दिखायेगा रख यकीन !!
गरजे जब बादल,
तो बरसने में वक्त लगता है !!
~Unknown
Chalo Jhootha Hi Sahi Shayri
चलो झूठा ही सही,
मुझसे ये वादा कर लो!
गम मुझे दे दो मगर,
प्यार तो ज्यादा कर लो!
हम तुम्हें चाहें, सराहें और मुहब्बत भी करें;
थोड़ा तुम भी कुछ करने का इरादा कर लो!
बड़ी मुश्किल से बचा लाए हैं, चंद खुशियाँ;
तुम्हारी मर्जी पूरा रख लो, या आधा कर लो!
हमारे ना सही, तुम तो किसी के हो जाओ;
हो बहुत टेढ़े यही काम सीधा साधा कर लो!
और कुछ कर नहीं सकते, तो कोई बात नहीं,
"घायल" के साथ खड़े रहने का माद्दा कर लो!
Der To Lagti Hai Hindi Shayari
दूरियाँ सिमटने में देर कुछ तो लगती है
रंजिशों के मिटने में देर कुछ तो लगती है
हिज्र के दोराहे पर एक पल न ठहरा वो
रास्ते बदलने में देर कुछ तो लगती है
आँख से न हटना तुम आँख के झपकने तक
आँख के झपकने में देर कुछ तो लगती है
हादसा भी होने में वक़्त कुछ तो लेता है
बख़्त (वक़्त) के बिगड़ने में देर कुछ तो लगती है
ख़ुश्क भी न हो पाई रौशनाई हर्फ़ों की
जान-ए-मन मुकरने में देर कुछ तो लगती है
फ़र्द की नहीं है ये बात है क़बीले की
गिर के फिर सँभलने में देर कुछ तो लगती है
दर्द की कहानी को, इश्क़ के फ़साने को
दास्तान बनने में देर कुछ तो लगती है
दस्तकें भी देने पर दर अगर न खुलता हो
सीढ़ियाँ उतरने में देर कुछ तो लगती है
ख़्वाहिशें परिंदों से लाख मिलती-जुलती हों
दोस्त! पर निकलने में देर कुछ तो लगती है
उम्र-भर की मोहलत तो वक़्त है तआ'रुफ़ का
ज़िंदगी समझने में देर कुछ तो लगती है
रंग यूँ तो होते हैं बादलों के अंदर ही
पर धनक के बनने में देर कुछ तो लगती है
उन की और फूलों की एक सी रिदाएँ हैं
तितलियाँ पकड़ने में देर कुछ तो लगती है
ज़लज़ले की सूरत में इश्क़ वार करता है
सोचने समझने में देर कुछ तो लगती है
भीड़ वक़्त लेती है रहनुमा परखने में
कारवां बनने में देर कुछ तो लगती है
हो चमन के फूलों का या किसी परवरिश का
हुस्न के सँवरने में देर कुछ तो लगती है
मुस्तक़िल नहीं 'अमजद' ये धुआँ मुक़द्दर का
लकड़ियाँ सुलगने में देर कुछ तो लगती है
~अमजद इस्लाम अमजद
Corona Ka Rona Hindi Poetry
मैंने कोरोना का रोना देखा है!
और उम्मीदों का खोना देखा है!!
लाचार मजदूरों को रोते देखा है!
गिरते पड़ते चलते और सोते देखा है!
पिता को सूनी आंखों से तड़पते देखा है!!
तो मां की गोद में बच्चे को मरते देखा है!
गरीबों का खुलेआम रोष देखा है!!
तो मध्यमवर्ग का मौन आक्रोश देखा है!
पीएम केयर के लिए भीख की शैली देखी है!
तो उसी पैसे से वर्चुअल रैली देखी है!!
गरीबों को अस्पतालों में लुटते देखा है! !
तो निर्दोषों को बेवजह पिटते देखा है!
अल्लाह भगवान की दुकानों का बंद भी होना देखा है!
तो रोना रोती सरकारों का अंत भी होना देखा है!!
~Dr. Anita
Aaj Ke Halat Pr Behad Khoobsurat Kavita
मौसम से हरियाली गायब
जीवन से खुशहाली गायब
ईयरफ़ोन हुआ है गहना
अब कानों से बाली गायब
ईद खुशी की आये कैसे
होली गुम दीवाली गायब
उतरा है आँखों का पानी
औ चेहरे की लाली गायब
अफ़वाहों के बम जिन्दा हैं
बातें भोली -भाली गायब
मीठापन भी ज़हर हुआ है
वो मिश्री सी गाली गायब
~डॉ० विनय मिश्र
Samaj Ki Hqiqat Wali Kavita
कहाँ पर बोलना है
और कहाँ पर बोल जाते हैं।
जहाँ खामोश रहना है
वहाँ मुँह खोल जाते हैं।
कटा जब शीश सैनिक का
तो हम खामोश रहते हैं।
कटा एक सीन पिक्चर का
तो सारे बोल जाते हैं।
नयी नस्लों के ये बच्चे
जमाने भर की सुनते हैं।
मगर माँ बाप कुछ बोले
तो बच्चे बोल जाते हैं।
बहुत ऊँची दुकानों में
कटाते जेब सब अपनी।
मगर मज़दूर माँगेगा
तो सिक्के बोल जाते हैं।
अगर मखमल करे गलती
तो कोई कुछ नहीँ कहता।
फटी चादर की गलती हो
तो सारे बोल जाते हैं।
हवाओं की तबाही को
सभी चुपचाप सहते हैं।
च़रागों से हुई गलती
तो सारे बोल जाते हैं।
बनाते फिरते हैं रिश्ते
जमाने भर से अक्सर।
मगर जब घर में हो जरूरत
तो रिश्ते भूल जाते हैं।
कहाँ पर बोलना है
और कहाँ पर बोल जाते हैं।
जहाँ खामोश रहना है
वहाँ मुँह खोल जाते हैं।
~ Unknown
Use Bhool Ja Hindi Sad Shayari
कहाँ आ के रुकने थे रास्ते
कहाँ मोड़ था, उसे भूल जा
वो जो मिल गया उसे याद रख
जो नहीं मिला, उसे भूल जा
वो तेरे नसीब की बारिशें
किसी और छत पे बरस गईं
दिल-ए-बे-ख़बर मेरी बात सुन,
उसे भूल जा, उसे भूल जा
मैं तो गुम था तेरे ही ध्यान में,
तेरी आस, तेरे गुमान में
सबा कह गई मेरे कान में,
मेरे साथ आ, उसे भूल जा
किसी आँख में नहीं अश्क-ए-ग़म,
तेरे बाद कुछ भी नहीं है कम
तुझे ज़िंदगी ने भुला दिया,
तू भी मुस्कुरा उसे भूल जा
कहीं चाक-ए-जाँ का रफ़ू नहीं,
किसी आस्तीं पे लहू नहीं
कि शहीद-ए-राह-ए-मलाल का,
नहीं ख़ूँ-बहा उसे भूल जा
क्यूँ अडा हुआ है ग़ुबार में,
ग़म-ए-ज़िंदगी के फ़िशार में
वो जो दर्द था तेरे बख़्त (वक़्त) में,
सो वो हो गया उसे भूल जा
तुझे चाँद बन के मिला था जो,
तेरे साहिलों पे खिला था जो
वो था एक दरिया विसाल का
सो उतर गया उसे भूल जा
~अमजद इस्लाम अमजद
Romantic Hindi Shayari by Amjad
चेहरे पे मेरे ज़ुल्फ़ को फैलाओ किसी दिन
क्या रोज़ गरजते हो बरस जाओ किसी दिन |
राज़ों की तरह उतरो मिरे दिल में किसी शब
दस्तक पे मेरे हाथ की खुल जाओ किसी दिन |
पेड़ों की तरह हुस्न की बारिश में नहा लूँ
बादल की तरह झूम के घर आओ किसी दिन |
ख़ुशबू की तरह गुज़रो मेरी दिल की गली से
फूलों की तरह मुझ पे बिखर जाओ किसी दिन |
गुज़रें जो मेरे घर से तो रुक जाएँ सितारे
इस तरह मेरी रात को, चमकाओ किसी दिन |
मैं अपनी हर इक साँस उसी रात को दे दूँ
सर रख के मेरे सीने पे सो जाओ किसी दिन |
~अमजद इस्लाम अमजद
Jo Hum Pe Gujri Hai Amjad Hindi Shayari
ये और बात है तुझ से, गिला नहीं करते
जो ज़ख़्म तू ने दिए हैं, भरा नहीं करते
हज़ार जाल लिए घूमती फिरे दुनिया,
तेरे असीर किसी के हुआ नहीं करते
ये आइनों की तरह देख-भाल चाहते हैं
कि दिल भी टूटें तो फिर से जुड़ा नहीं करते
वफ़ा की आँच सुख़न का ताप दो इन को
दिलों के चाक रफ़ू से सिला नहीं करते
जहाँ हो प्यार, ग़लत-फ़हमियाँ भी होती हैं
सो बात-बात पे यूँ दिल बुरा नहीं करते
हमें हमारी अनाएँ तबाह कर देंगी,
मुकालमे का अगर सिलसिला नहीं करते
जो हम पे गुज़री है जानाँ वो तुम पे भी गुज़रे
जो दिल चाहे भी तो, ऐसी दुआ नहीं करते
हर इक दुआ के मुक़द्दर में कब हुज़ूरी है
तमाम ग़ुंचे तो 'अमजद' खिला नहीं करते
~अमजद इस्लाम अमजद
दोस्तों इनमें से कई शायरी और कविताएं ऐसी भी हैं जिनके शायरों अथवा कवियों के नाम हमें ज्ञात नहीं है यदि आपको उन लोगों के नाम पता हो तो हमें बताने की कृपा करें हम उसे खुशी खुशी अपनी साइट पर पब्लिश करेंगे, धन्यवाद!ब
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